वैज्ञानिकों ने यह सिद्ध किया है कि एक सीमा से ज्यादा शोर हमारे तन और मन दोनों पर प्रतिकूल एवं खतरनाक असर डालता है। डॉक्टरों के अनुसार अधिक शोर मानसिक अवसाद, तनाव, हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अटेक, थकान, बहरापन, गर्भपात, स्ट्रोक, पेट के रोग आदि जैसी समस्याएं उत्पन्न करता है। अधिक शोर पर काबू पाने के लिए सरकार द्वारा न सिर्फ कानून बनाये गए हैं बल्कि प्रदूषण नियंत्रण विभाग भी कार्य कर रहे हैं।
ध्वनि प्रदूषण विनियमन एवं नियंत्रण अधिनियम, 2000 में संशोधन करके निर्धारित सीमा से अधिक शोर करने के लिए दोष सिद्ध व्यक्ति को पांच वर्ष के कारावास एवं एक लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया है. इसके अलावा भारतीय न्याय संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत भी मुकदमा दर्ज करके अपराधी व्यक्ति को सजा दिलाई जा सकती है। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने भी अपने एक निर्णय में रात दस बजे से प्रातः छह बजे के मध्य किसी भी प्रकार के शोर को प्रतिबंधित करते हुए इसे दंडनीय अपराध घोषित किया है।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने आवासीय क्षेत्र में पचपन डेसिबल तक के शोर को ही उचित माना है इससे ज्यादा शोर को स्वास्थ्य के लिए खतरनाक बताया है। भारत सरकार द्वारा देश में निर्धारित सीमा से अधिक शोर पर नियंत्रण लगाने के उद्देश्य से नेशनल शोर मॉनिटरिंग नेटवर्क स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। यह नेटवर्क शहरों के सभी क्षत्रों में ध्वनि की तीव्रता की लगातार मॉनिटरिंग करेगा तथा ध्वनि प्रदूषण करने वालों को सजा दिलवाएगा।– प्रमोद कुमार अग्रवाल,आगरा।
