भोपाल, मध्यप्रदेश:
मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ ज़िले के युवा वैज्ञानिक प्रखर विश्वकर्मा ने ‘रिलॉन्च ऑटोमैटिक मिसाइल’ नामक अत्याधुनिक और पुनः उपयोगी (reusable) मिसाइल प्रणाली का आविष्कार किया है। वर्तमान में प्रखर भोपाल स्थित बंसल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्र हैं। यह इनोवेशन भारत के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और तकनीकी सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।


पारिवारिक पृष्ठभूमि

प्रखर विश्वकर्मा मूलतः टीकमगढ़ से हैं। उनके माता-पिता श्रीमती अरुण विश्वकर्मा और श्री रघुनंदन विश्वकर्मा ने सदैव उन्हें वैज्ञानिक दृष्टिकोण, राष्ट्रभक्ति और नवाचार की प्रेरणा दी। यह पारिवारिक सहयोग ही उनकी वैज्ञानिक यात्रा की नींव बना।


क्या है ‘रिलॉन्च ऑटोमैटिक मिसाइल’?

रिलॉन्च ऑटोमैटिक मिसाइल (RAM) एक ऐसी तकनीक है जो हमला करने के बाद स्वयं अपने लॉन्चपैड पर लौटने में सक्षम है। इसका डिज़ाइन और कार्य प्रणाली इस तरह से बनाई गई है कि यह बार-बार इस्तेमाल हो सके — जो इसे कम लागत वाली और रणनीतिक दृष्टि से प्रभावशाली बनाती है।

तकनीकी विशेषताएँ:

  • नाम: Relaunch Automatic Missile

  • ड्यूल इंजन सिस्टम: एक सॉलिड फ्यूल इंजन और एक लिक्विड फ्यूल इंजन

  • मारक क्षमता: लगभग 150 किलोमीटर

  • डिज़ाइन: जेट और मिसाइल कॉम्बिनेशन

  • संचालन: ऑटोपायलट नियंत्रण प्रणाली

  • मूलभूत आधार: पूरी तरह स्वदेशी तकनीक

 


बीएचयू वाराणसी के साथ सहयोग

प्रखर ने इस प्रोजेक्ट पर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के साथ संयुक्त अनुसंधान की पहल की है। यह अनुसंधान न केवल तकनीकी विकास बल्कि पेटेंट प्रक्रिया के ज़रिए इसे कानूनी और औद्योगिक समर्थन भी देगा। प्रखर का लक्ष्य है कि यह परियोजना जल्द ही रक्षा उत्पादन के चरण में पहुँचे।


राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सम्मान

प्रखर विश्वकर्मा को उनके नवाचार और वैज्ञानिक उपलब्धियों के लिए कई प्रतिष्ठित मंचों पर सम्मानित किया गया है:

  • NASA द्वारा ‘Scientist for a Day Award’ (2020)

  • चंद्रयान-3 लॉन्चिंग टीम का हिस्सा बनने का गौरव

  • जर्मनी (2023) में अंतरराष्ट्रीय एग्जिबिशन में आमंत्रण

  • ISRO, नेहरू विज्ञान केंद्र (मुंबई), विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र, और अन्य संस्थानों में वर्कशॉप/प्रेजेंटेशन


भारत सरकार और रक्षा संस्थानों से अपील

प्रखर चाहते हैं कि भारत सरकार, DRDO और ISRO इस तकनीक को समर्थन दें, ताकि इसे व्यावहारिक परीक्षण के ज़रिए रक्षा बलों में शामिल किया जा सके। उनका मानना है कि इस तरह की स्वदेशी तकनीक भारत को वैश्विक स्तर पर रक्षा क्षेत्र में मजबूत कर सकती है।


भारत का वैज्ञानिक भविष्य

प्रखर विश्वकर्मा केवल एक छात्र नहीं, बल्कि एक भविष्यद्रष्टा युवा वैज्ञानिक हैं। उनकी रिलॉन्च ऑटोमैटिक मिसाइल, अंतरराष्ट्रीय सम्मान, और BHU के साथ मिलकर किया गया अनुसंधान भारत को रक्षा क्षेत्र में नई ऊँचाइयों पर ले जाने की क्षमता रखता है।

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