महाकुंभ 2025: आर्थिक लाभ, रोजगार सृजन और सांस्कृतिक महत्व
प्रयागराज में 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक आयोजित महाकुंभ मेला न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक था, बल्कि…
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प्रयागराज भारत के सबसे पुराने शहरों में से एक है। यह प्राचीन ग्रंथों में ‘प्रयाग’ या ‘तीर्थराज’ के नाम से जाना जाता है और इसे भारत के सबसे पवित्र तीर्थ स्थल माना जाता है। यह तीन नदियों- गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर स्थित है। समागम-बिंदु को त्रिवेणी के रूप में जाना जाता है और यह हिंदुओं के लिए बहुत ही पवित्र है। प्रयागराज में प्रत्येक छः वर्षों में कुंभ और प्रत्येक बारह वर्षों में महाकुंभ, इस धरती पर तीर्थयात्रियों का सबसे बड़ा आयोजन है।
ऐतिहासिक रूप से, प्रयागराज शहर भारत के स्वतंत्रता संग्राम में कई महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी रहा – 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उभरने, 1920 के दशक में महात्मा गांधी की अहिंसा आंदोलन की शुरुआत।
प्रयागराज में 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक आयोजित महाकुंभ मेला न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक था, बल्कि…
प्रयागराज, जिसे प्राचीन काल में प्रयाग के नाम से जाना जाता था, सनातन धर्म की आस्था, संस्कृति और परंपराओं का…