एक गाँव – एक ईमानदार : बदलाव की बुनियाद
✍ योगेश कुमार
संस्थापक एवं निदेशक – नियोधि फाउंडेशन
भारत की आत्मा गाँवों में बसती है
भारत की लगभग 70% आबादी गाँवों में रहती है। लेकिन आज भी गाँवों की सबसे बड़ी समस्या है — भ्रष्टाचार, अव्यवस्था और उदासीनता।
राशन की चोरी, अस्पतालों की लापरवाही, विद्यालयों में शिक्षकों की अनुपस्थिति और सफ़ाई व्यवस्था की उपेक्षा – ये सब ग्रामीण समाज की आत्मा को चोट पहुँचाते हैं।
इसी अंधकार के बीच उम्मीद की एक किरण बनकर सामने आई है —
“एक गाँव – एक ईमानदार” योजना, जो नियोधि फाउंडेशन की एक सशक्त सामाजिक पहल है।
क्यों ज़रूरी है यह योजना?
परिवर्तन कभी केवल सरकार नहीं लाती। असली बदलाव जागरूक नागरिकों से आता है।
“एक गाँव – एक ईमानदार” का मक़सद सरकार को चुनौती देना नहीं, बल्कि सरकार और जनता के बीच ईमानदारी का सेतु बनाना है।
जब हर गाँव में एक प्रतिनिधि ईमानदारी से खड़ा हो, तो:
- भ्रष्टाचार कम होता है
- जवाबदेही बढ़ती है
- युवाओं में प्रेरणा जागती है
- समाज में भरोसा मजबूत होता है
गाँव से देश तक की यात्रा
इस योजना की ताक़त इसकी सरलता और स्थायित्व में है:
- कोई बड़ा बजट नहीं, केवल नीयत और नेटवर्क चाहिए।
- कोई दिखावा नहीं, केवल ज़मीन पर काम चाहिए।
- कोई भाषण नहीं, बल्कि सच्ची सेवा चाहिए।
एक प्रतिनिधि गाँव की समस्याएँ चिन्हित करता है, योजनाओं की जानकारी साझा करता है और स्कूल, स्वास्थ्य, राशन जैसी बुनियादी व्यवस्थाओं पर निगरानी रखता है।
यही तो असली लोकतंत्र है — जहाँ जनता खुद अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति सजग हो।
टकराव नहीं, संवाद
“एक गाँव – एक ईमानदार” की सबसे बड़ी विशेषता है कि यह आंदोलन विरोध नहीं, संवाद को प्राथमिकता देता है।
प्रतिनिधियों को नियोधि फाउंडेशन और नियोधि मीडिया संघ से ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया जाता है —
- Zoom
- Voice Notes
इससे प्रतिनिधि अकेले नहीं रहते, बल्कि एक मज़बूत संगठन उनके पीछे खड़ा होता है।
एक प्रतिनिधि – एक उम्मीद
गाँव का हर ईमानदार प्रतिनिधि सिर्फ़ एक व्यक्ति नहीं, बल्कि पूरे समाज का विकल्प होता है —
- सच्चाई का विकल्प
- सेवा का विकल्प
- जवाबदेही का विकल्प
सचिव, शिक्षक, राशन डीलर या सफ़ाई कर्मचारी — सब जानते हैं कि अब कोई तो है जो देख रहा है। और जब वह संगठन से जुड़ा होता है, तो उसकी आवाज़ और मज़बूत हो जाती है।
समापन : आइए इस आंदोलन से जुड़ें
“एक गाँव – एक ईमानदार” कोई सरकारी स्कीम नहीं, बल्कि एक जन-आंदोलन है।
यह हमें सिखाता है कि बदलाव केवल नारों से नहीं, बल्कि नैतिक नेतृत्व और ईमानदारी से आता है।
👉 अगर आप चाहते हैं कि आपके गाँव में भी कोई ईमानदार प्रतिनिधि खड़ा हो,
या आप स्वयं समाज की आवाज़ बनना चाहते हैं,
तो आज ही नियोधि फाउंडेशन से जुड़ें।
क्योंकि –
“गाँव बदलेगा, तभी देश बदलेगा।
और देश तभी बदलेगा, जब ईमानदारी जमीनी हक़ीक़त बनेगी।”
संपर्क करें:
योगेश कुमार
संस्थापक एवं निदेशक – नियोधि फाउंडेशन
संयोजक – नियोधि मीडिया संघ
🌐 https://niyodhi.org