भारत में सार्वजनिक संपत्तियों पर स्टिकर और विज्ञापन चिपकाना कानूनन अवैध है। इसे ‘संपत्ति विरूपण निवारण अधिनियम’ समेत विभिन्न राज्य कानूनों के तहत प्रतिबंधित किया गया है। इन कानूनों के अनुसार, बिना अनुमति के दीवारों, इमारतों, बस स्टॉप, पुलों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर पोस्टर, स्टिकर या बैनर लगाना गैरकानूनी है। इस उल्लंघन के लिए जुर्माना और कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है।
अवैध विज्ञापन का प्रभाव
- शहरों की सुंदरता पर प्रभाव – सार्वजनिक स्थानों पर अवैध विज्ञापनों से शहरी सौंदर्यीकरण प्रभावित होता है।
- स्वच्छता और रखरखाव का खर्च – इन विज्ञापनों को हटाने और संपत्तियों की मरम्मत पर अतिरिक्त सरकारी खर्च होता है।
- भ्रामक प्रचार – कई विज्ञापन भ्रामक होते हैं, जो जनता को गुमराह कर सकते हैं।
नियंत्रण और समाधान
विशेषज्ञों का मानना है कि इस समस्या के समाधान के लिए निम्नलिखित उपाय आवश्यक हैं:
✅ कठोर प्रवर्तन – संबंधित कानूनों को सख्ती से लागू किया जाए।
✅ जन जागरूकता अभियान – लोगों को इस विषय पर शिक्षित किया जाए।
✅ सामुदायिक भागीदारी – समाज को इस समस्या के समाधान में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।
निष्कर्ष
अवैध स्टिकर और विज्ञापन केवल सौंदर्यीकरण को ही नहीं, बल्कि कानूनी और आर्थिक पहलुओं को भी प्रभावित करते हैं। इसे रोकने के लिए सख्त कानूनों के साथ जन भागीदारी भी आवश्यक है।