उत्तर प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक व्यापक सड़क सुरक्षा पहल की शुरुआत की है। राज्य में वर्ष 2024 के दौरान 46,052 सड़क दुर्घटनाएँ दर्ज की गईं, जिनमें 24,000 से अधिक मौतें और 34,600 से ज्यादा लोग घायल हुए। इन दुर्घटनाओं के प्रमुख कारणों में ओवरस्पीडिंग, नशे में गाड़ी चलाना, गलत दिशा में वाहन चलाना, सिग्नल जंप करना और ड्राइविंग के दौरान मोबाइल फोन का उपयोग शामिल हैं।
सड़क सुरक्षा में बड़े बदलाव: मुख्य सुधार बिंदु
- राजमार्गों को पहुंच-नियंत्रित बनाना:
यातायात को सुव्यवस्थित करने के लिए राजमार्गों को पहुंच-नियंत्रित बनाया जाएगा। इससे अनधिकृत प्रवेश पर रोक लगेगी और दुर्घटनाओं में कमी आएगी। - आपातकालीन चिकित्सा सुविधाओं का सशक्तिकरण:
एक्सप्रेसवे के किनारे ट्रॉमा सेंटर, अस्पताल और आपातकालीन सुविधाओं की स्थापना की जाएगी। इससे दुर्घटना पीड़ितों को तुरंत चिकित्सा सहायता मिल सकेगी। - सख्त प्रवर्तन और निगरानी:
- अवैध वाहनों, ओवरलोड ट्रकों और नाबालिग ई-रिक्शा चालकों पर सख्त कार्रवाई होगी।
- नशे में वाहन चलाने पर रोक लगाने के लिए राजमार्गों पर शराब की दुकानों पर प्रतिबंध लगेगा।
- भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा संचालित सभी सड़कों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे।
- आपातकालीन प्रतिक्रिया में सुधार:
- दुर्घटनास्थल पर त्वरित सहायता के लिए क्रेन, पेट्रोलिंग वाहन और एम्बुलेंस की संख्या बढ़ाई जाएगी।
- सड़क सुरक्षा उपायों की समीक्षा के लिए प्रत्येक जिले में मासिक बैठकें और संभाग स्तर पर तिमाही समीक्षाएँ अनिवार्य की जाएंगी।
सड़क सुरक्षा पहल का महत्व
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा शुरू की गई यह पहल उत्तर प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं को नियंत्रित करने के लिए एक दूरदर्शी कदम है। यदि इसे प्रभावी रूप से लागू किया गया, तो यह न केवल जान-माल की हानि को कम करेगा बल्कि राज्य में सुरक्षित परिवहन व्यवस्था भी सुनिश्चित करेगा।
निष्कर्ष
सड़क सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए सरकार का यह कदम उत्तर प्रदेश को एक सुरक्षित राज्य बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने और लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रशासनिक दक्षता और बुनियादी ढांचे के विकास पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।