रूस-यूक्रेन संघर्ष के बीच, अमेरिका ने मध्यस्थता के प्रयास तेज कर दिए हैं। हाल ही में, संयुक्त राष्ट्र में एक प्रस्ताव पर मतदान के दौरान अमेरिका और रूस ने एक साथ विरोध जताया, जो अमेरिकी नीति में महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देता है।

रूस ने चेतावनी दी है कि यदि यूक्रेन को नाटो में शामिल किया जाता है, तो यह संघर्ष तीसरे विश्व युद्ध की ओर बढ़ सकता है। रूसी सुरक्षा परिषद के उप सचिव अलेक्जेंडर वेनेडिक्टोव ने कहा कि पश्चिमी देश इस कदम की आत्मघाती प्रकृति को समझते हैं, और परमाणु संघर्ष पूरी दुनिया को प्रभावित करेगा।

रूस ने अमेरिका और नाटो के वादों पर अविश्वास व्यक्त किया है, यह कहते हुए कि उनके मौखिक आश्वासनों का अब कोई मूल्य नहीं है, और कानूनी रूप से बाध्यकारी गारंटी की मांग की है।

विश्लेषकों का मानना है कि रूस के इन कदमों ने नाटो के अस्तित्व को चुनौती दी है, और यह अमेरिका के लिए सीधी चुनौती है। रूस ने यह सुनिश्चित किया है कि यूक्रेन को नाटो में शामिल करने की प्रक्रिया पर विराम लगेगा, जिससे सोवियत संघ से अलग हुए अन्य बाल्टिक गणराज्यों में भी दहशत पैदा हो गई है।

इन घटनाक्रमों के बीच, अमेरिका की मध्यस्थता और नाटो एवं संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर पुनर्विचार की आवश्यकता महसूस की जा रही है, ताकि यूरोप में स्थिरता और शांति सुनिश्चित की जा सके।

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