प्रमोद कुमार अग्रवाल
नवग्रहों में पराक्रमी शौर्य के प्रतीक भौम अर्थात मंगल ग्रह को भूमि पुत्र कहा गया है, इसलिए भूमि से जुड़े मामलों में मंगल का विशेष योगदान है। ज्योतिष शास्त्र में मंगल को युद्ध का देवता सेनापति माना गया है। मेष और वृश्चिक राशियों के स्वामी ग्रह मंगल मकर राशि में उच्च के तथा कर्क राशि में नीच के होते हैं। दुर्घटना, हथियार, रोग, साहस, पराक्रम, वीरता, भाई-बंधु, गृहस्थ सुख, शासक, शत्रु, आचरण, क्रोध, छल-कपट, चौर्य कर्म आदि के बारे में जानकारी के लिए मंगल ग्रह की स्थिति का ही सहारा लिया जाता है।
मंगल का स्वरुप एवं प्रभाव
उग्र प्रकृति के मंगल की चार भुजाएं हैं, जो अभय मुद्रा, त्रिशूल, गदा एवं वर मुद्रा में दर्शित हैं। लाल वस्त्र और लाल माला धारण करने वाले मंगल का वाहन भेड़ा है। इनके मस्तक पर स्वर्ण मुकुट है। जन्म कुंडली में पहले, चौथे, सातवें, आठवें और बारहवें भाव में विराजमान मंगल की स्थिति जातक को मांगलिक बनाती है , वहीं मंगल कुंडली के जिस भाव में बैठे होते हैं, वहां से वे चौथे, सातवें एवं आठवें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखते हैं।
अंक ज्योतिष में मंगल
अंक ज्योतिष के अनुसार 9 का अंक मंगल का प्रतिनिधित्व करता है। जिन जातकों का जन्म किसी भी मास की 9, 18 और 27 तारीख को होता है, उनका जन्मांक 9 है और वे जीवन भर मंगल से प्रभावित रहते हैं। ऐसे जातक कठिन परिश्रम, लगन, साहस, और दृढ़ इच्छा शक्ति के बल पर ही जीवन में सफल हो पाते हैं। ऐसे जातकों को जीवन में शुभ प्रभाव के लिए अपने भोजन में प्याज, अनार, तिल, सरसों, अदरक, काली मिर्च, चुकंदर, गाजर, सेब आदि का सेवन अवश्य करना चाहिए।
मंगल के शुभ-अशुभ प्रभाव
मंगल के शुभ एवं बली होने पर जातक अनुशासन प्रिय, सर्जन, मजबूत, आकर्षक, जमींदार, सैन्यकर्मी, पुलिस अधिकारी, गुप्तचर विभाग आदि में साहसपूर्ण कार्य करने वाला अधिकारी होता है। जबकि अशुभ एवं दोषपूर्ण मंगल के प्रभाव से जातक आपराधिक कार्य करने लगता है तथा अक्सर चेचक, ज्वर, पित्त विकार, घाव, फोड़ा-फुंसी, रक्तस्राव जैसी बीमारियों से ग्रस्त बना रहता है।
मंगल की शांति के उपाय
मंगल ग्रह की शांति एवं प्रसन्नता के लिए भगवान शिव और हनुमान जी की उपासना की जाती है। स्वास्थ्य लाभ एवं प्रसन्नता के लिए नियमित रूप से “ॐ अंगारकाय नमः” अथवा “ॐ भौं भौमाय नमः” मंत्र का जप करना चाहिए। मंगल के अशुभ प्रभावों को काम करने के लिए स्वर्ण, तांबा, गुड, गेहूं, लाल वस्त्र, लाल चंदन, लाल पुष्प, लाल फल, मसूर की दाल आदि का दान किया जाता है। भूमि लाभ के लिए मंगलवार को गुड की रेवडिया मछलियों को अथवा गुड चना बंदरों को खिलाना चाहिए। पराक्रमी संतान प्राप्ति के लिए घर में गुड का मीठा पराठा बनाकर मंगलवार को गरीब बच्चों को खिलाना चाहिए। — प्रमोद कुमार अग्रवाल, आगरा।