होलिका दहन, जिसे छोटी होली भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। यह पर्व धर्म और सत्य की विजय का संदेश देता है। होलिका दहन 2025 में गुरुवार, 13 मार्च को मनाया जाएगा। इस पर्व का शुभ मुहूर्त रात 11:26 बजे से 12:30 बजे (14 मार्च) तक है।
होलिका दहन की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, असुर राजा हिरण्यकश्यप ने भगवान विष्णु के प्रति अपने पुत्र प्रह्लाद की अटूट भक्ति से क्रोधित होकर, अपनी बहन होलिका की सहायता से प्रह्लाद को आग में भस्म करने का प्रयास किया। होलिका को वरदान प्राप्त था कि वह आग में नहीं जलेगी, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से होलिका स्वयं जलकर भस्म हो गई, जबकि प्रह्लाद सुरक्षित रहे।
यह कथा यह दर्शाती है कि सत्य और धर्म की सदा विजय होती है।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 2025
होलिका दहन का अनुष्ठान प्रदोष काल (सूर्यास्त के बाद) में पूर्णिमा तिथि के दौरान करना शुभ माना जाता है। लेकिन भद्रा काल में दहन से बचना चाहिए, क्योंकि इसे अशुभ माना जाता है।
- शुभ मुहूर्त: रात 11:26 बजे से 12:30 बजे (14 मार्च) तक
- भद्रा काल में दहन से बचें: यदि भद्रा काल प्रदोष काल के दौरान हो, तो भद्रा पुंछा (अंतिम भाग) में दहन करना उचित माना जाता है।
- भद्रा मुख में दहन न करें: इसे अशुभ माना जाता है।
होलिका दहन की तैयारी और रीति-रिवाज
होलिका दहन के लिए लोग लकड़ियों, उपलों और अन्य दहन सामग्री का संग्रह करते हैं। यह बुराई के नाश का प्रतीक है। लोग पारंपरिक गीत गाते हैं, नृत्य करते हैं और एक-दूसरे को शुभकामनाएँ देते हैं।
पर्यावरण की सुरक्षा
होलिका दहन के दौरान हानिकारक और ज्वलनशील पदार्थों का उपयोग न करें। पर्यावरण संरक्षण का विशेष ध्यान रखें।
होलिका दहन का महत्व
होलिका दहन हमें सिखाता है कि सत्य और धर्म की सदा विजय होती है। इस पर्व पर लोग पुराने मतभेद भुलाकर भाईचारे और सामाजिक एकता का संदेश देते हैं।
होलिका दहन 2025 का पर्व सत्य की विजय और धर्म के प्रति निष्ठा का प्रतीक है। सही मुहूर्त पर पूजा-अर्चना और होलिका दहन करने से सुख, समृद्धि और सफलता की प्राप्ति होती है। इस पावन अवसर पर हम सबको सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने का संकल्प लेना चाहिए।