ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने भारत सरकार को सलाह दी है कि वह अमेरिका के साथ सभी व्यापार वार्ताओं से पूरी तरह हट जाए और चीन तथा कनाडा जैसे देशों की तरह एक सख्त रणनीति अपनाए। जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि अमेरिका व्यापार वार्ता में अत्यधिक दबाव डाल रहा है, जो पूरी तरह से उसके हितों के अनुकूल है।


अमेरिकी दबाव और भारत के लिए जोखिम

अजय श्रीवास्तव का मानना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति और उनके अधिकारी भारत के खिलाफ गलत आंकड़ों का उपयोग करके व्यापार वार्ता को प्रभावित कर रहे हैं। इससे किसी भी संतुलित समझौते की संभावना खत्म हो जाती है। जीटीआरआई की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के साथ व्यापार समझौते से भारत के लिए सरकारी खरीद, कृषि सब्सिडी, पेटेंट कानून और डेटा प्रवाह जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में जोखिम बढ़ सकता है।

ट्रंप प्रशासन का अनिश्चित व्यापारिक रुख

जीटीआरआई ने ट्रंप प्रशासन के व्यापारिक समझौतों को तोड़ने के इतिहास का हवाला दिया। उदाहरण के लिए, अमेरिका-मेक्सिको-कनाडा एफटीए (2019), जिसे लागू करने के बाद भी समाप्त कर दिया गया। इससे पता चलता है कि अमेरिका पर भरोसा करना जोखिम भरा हो सकता है।

भारत के लिए “शून्य-के-लिए-शून्य” नीति की सिफारिश

जीटीआरआई ने भारत के लिए एक “शून्य-के-लिए-शून्य” नीति अपनाने की सिफारिश की है, जिसमें टैरिफ केवल तभी समाप्त किया जाए जब अमेरिका भी ऐसा ही करे। इसके अलावा, कृषि, यात्री कारों और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों को व्यापारिक समझौतों से बाहर रखने की सलाह दी गई है।

कृषि क्षेत्र पर अमेरिकी दबाव का विरोध

अमेरिका द्वारा भारत के कृषि क्षेत्र को खोलने की मांग का विरोध करते हुए अजय श्रीवास्तव ने कहा कि यह क्षेत्र करीब 70 करोड़ लोगों की आजीविका से जुड़ा है। अमेरिकी कृषि उत्पादों के लिए बाजार खोलने से भारतीय किसानों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है और आगे और अधिक रियायतों के लिए दबाव बढ़ सकता है।

‘टैरिफ किंग’ का दावा भ्रामक

अमेरिका द्वारा भारत को ‘टैरिफ किंग’ कहे जाने के दावे को भी जीटीआरआई ने भ्रामक बताया। रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका खुद कई उत्पादों पर अत्यधिक टैरिफ लगाता है, जैसे तंबाकू पर 350 प्रतिशत। इसके विपरीत, भारत अमेरिकी उत्पादों पर अपेक्षाकृत कम औसत टैरिफ दर लागू करता है।

भारत सरकार को सख्त रणनीति अपनाने की सलाह

जीटीआरआई ने भारत सरकार से अपील की है कि वह अमेरिका के साथ एकतरफा व्यापारिक वार्ताओं में शामिल होने से बचे और अपने दीर्घकालिक हितों को ध्यान में रखते हुए ठोस रणनीति अपनाए।

अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता में शामिल होने से पहले भारत को अपनी आर्थिक और सामाजिक प्राथमिकताओं का मूल्यांकन करना चाहिए। कृषि और संवेदनशील क्षेत्रों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए ताकि भारतीय अर्थव्यवस्था और किसानों के हित सुरक्षित रह सकें।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *