लखनऊ नगर निगम (एलएमसी) के प्रयासों से शहर अब शून्य अपशिष्ट शहरों की सूची में शामिल हो गया है। इंदौर, पुणे, अंबिकापुर, चंद्रपुर और तलिपरम्बा जैसे शहरों की तरह अब लखनऊ में भी प्रतिदिन उत्पन्न होने वाले कचरे का शत-प्रतिशत निपटान किया जाएगा।

शहर में हर दिन 2,000-2,200 मीट्रिक टन कचरा निकलता था, जिसमें से लगभग 600-700 मीट्रिक टन बिना प्रसंस्करण के रह जाता था। यह बिना निपटाया गया कचरा पुराने कचरे के ढेर को बढ़ाने का मुख्य कारण था। 10 मार्च से शिवरी कचरा प्रबंधन संयंत्र की तीसरी प्रोसेसिंग यूनिट के चालू होने से यह समस्या समाप्त हो जाएगी। अब पूरे कचरे का वैज्ञानिक विधियों से निपटान किया जाएगा, जिससे लखनऊ पूरी तरह कचरा मुक्त बनने की दिशा में आगे बढ़ेगा।

नगर निगम का लक्ष्य दिसंबर 2025 तक शहर को पूरी तरह से कचरा मुक्त बनाना है। पहले 20 लाख मीट्रिक टन कचरे से भरे शिवरी साइट पर अब मात्र 10.5 लाख मीट्रिक टन कचरा शेष है। वैज्ञानिक तकनीकों की मदद से इसे पूरी तरह खत्म करने की योजना बनाई गई है। एलएमसी ने अब तक 9.5 लाख मीट्रिक टन कचरे का प्रसंस्करण कर 20 एकड़ भूमि को पुनः प्राप्त किया है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत ₹96 करोड़ की इस परियोजना में उन्नत बायोरेमेडिएशन और बायोमाइनिंग तकनीकों को अपनाया गया है, जिससे लखनऊ स्वच्छता और पर्यावरणीय स्थिरता की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

शहर में तीन-चरणीय वैज्ञानिक पृथक्करण प्रक्रिया के जरिए कचरे को चार प्रमुख उप-उत्पादों में बदला जा रहा है, जिससे लैंडफिल में जाने वाले कचरे की मात्रा में भारी कमी आई है। कचरे से प्राप्त ईंधन (RDF) सीमेंट और कागज़ मिलों को भेजा जा रहा है, जिससे पारंपरिक ईंधन पर निर्भरता कम हो रही है। 22 मिमी मोटे अंश सड़क निर्माण और अन्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में उपयोग किए जा रहे हैं। जैविक खाद किसानों के लिए लाभकारी साबित हो रही है, जिससे जैविक खेती को बढ़ावा मिल रहा है। निर्माण और विध्वंस (C&D) कचरे का उपयोग निचले इलाकों को भरने के लिए किया जा रहा है, जिससे भूमि का कुशल उपयोग सुनिश्चित हो रहा है।

55% कचरे का प्रसंस्करण पहले ही पूरा हो चुका है, और औद्योगिक इकाइयों को भेजे जाने वाले RDF के लिए सह-प्रसंस्करण प्रमाण पत्र जारी किए जा रहे हैं। स्वच्छता अभियान न केवल कचरा प्रबंधन को नया आयाम दे रहा है, बल्कि शहरी पुनर्विकास को भी बढ़ावा दे रहा है। पहले कचरे से भरी जमीन को हरित पट्टी में बदला जा रहा है, जिससे शहर का सौंदर्यकरण और पर्यावरण संरक्षण सुनिश्चित किया जा रहा है।

एलएमसी की इस ऐतिहासिक पहल से लखनऊ एक स्वच्छ, स्वस्थ और सतत विकास की दिशा में आगे बढ़ रहा है। यह न केवल स्वच्छता के प्रति एक नई सोच को दर्शाता है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और संसाधनों के कुशल उपयोग का भी बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत करता है।

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