तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगान की नीतियाँ देश की राजनीतिक स्थिरता और आर्थिक स्थिति पर गंभीर प्रभाव डाल रही हैं। हाल ही में इस्तांबुल के मेयर और विपक्षी रिपब्लिकन पीपुल्स पार्टी (सीएचपी) के नेता एकरेम इमामोग्लू की गिरफ्तारी ने इस अस्थिरता को और बढ़ा दिया है। इमामोग्लू पर भ्रष्टाचार और आतंकवादी संगठनों की सहायता के आरोप लगाए गए हैं, जिन्हें विपक्ष ने “हमारे अगले राष्ट्रपति के खिलाफ तख्तापलट” करार दिया है।
आर्थिक संकट और लीरा की गिरावट
इमामोग्लू की गिरफ्तारी के बाद तुर्की की मुद्रा लीरा में भारी गिरावट दर्ज की गई। डॉलर के मुकाबले लीरा 12% तक गिरकर 42 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गई, जो देश की आर्थिक स्थिरता के लिए गंभीर संकेत है। आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस गिरावट का मुख्य कारण एर्दोगान की विवादास्पद आर्थिक नीतियाँ हैं, जो मुद्रास्फीति और ब्याज दरों पर सरकार के कड़े नियंत्रण के कारण उत्पन्न हुई हैं।
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अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर नीतियों का असर
राष्ट्रपति एर्दोगान की नीतियाँ न केवल आंतरिक बल्कि अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर भी प्रभाव डाल रही हैं। विशेष रूप से कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन करने से तुर्की और भारत के संबंधों में तनाव पैदा हुआ है। यह रुख दक्षिण एशिया में स्थिरता के लिए खतरा माना जा रहा है और तुर्की की कूटनीतिक स्थिति को कमजोर कर रहा है।
नीतियों का व्यापक प्रभाव
इन सभी घटनाओं से स्पष्ट है कि राष्ट्रपति एर्दोगान की नीतियाँ तुर्की की राजनीतिक और आर्थिक स्थिरता को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रही हैं। देश को आंतरिक और बाहरी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे नागरिकों का सरकार पर विश्वास कमजोर हो रहा है।