सभ्यता का रहस्य (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद | Sabhyata Ka Rahasya (Hindi Story) : Munshi Premchand |
यों तो मेरी समझ में दुनिया की एक हजार एक बातें नहीं आती—जैसे लोग प्रात:काल उठते ही बालों पर छुरा…
शतरंज के खिलाड़ी (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद|Shatranj Ke Khiladi (Hindi Story) : Munshi Premchand|
वाजिदअली शाह का समय था। लखनऊ विलासिता के रंग में डूबा हुआ था। छोटे-बड़े, अमीर-गरीब, सभी विलासिता में डूबे हुए…
दूध का दाम (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद|Doodh Ka Daam (Hindi Story) : Munshi Premchand|
अब बड़े-बड़े शहरों में दाइयाँ, नर्सें और लेडी डाक्टर, सभी पैदा हो गयी हैं; लेकिन देहातों में जच्चेखानों पर अभी…
मुफ्त का यश (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद|Muft Ka Yash (Hindi Story) : Munshi Premchand|
उन दिनों संयोग से हाकिम-जिला एक रसिक सज्जन थे। इतिहास और पुराने सिक्कों की खोज में उन्होंने अच्छी ख्याति प्राप्त…
नया विवाह (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद| Naya Vivah Short Story Premchand |
हमारी देह पुरानी है, लेकिन इसमें सदैव नया रक्त दौड़ता रहता है। नये रक्त के प्रवाह पर ही हमारे जीवन…
गिला (कहानी) मुंशी प्रेमचंद| Gila Short Story Premchand |
जीवन का बड़ा भाग इसी घर में गुजर गया, पर कभी आराम न नसीब हुआ। मेरे पति संसार की दृष्टि…
पूस की रात (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद| Poos Ki Raat (Hindi Story) : Munshi Premchand |
हल्कू ने आकर स्त्री से कहा– सहना आया है । लाओं, जो रुपये रखे हैं, उसे दे दूँ, किसी तरह…
ईदगाह (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद | Idgah (Hindi Story) : Munshi Premchand |
रमजान के पूरे तीस रोजों के बाद ईद आयी है। कितना मनोहर, कितना सुहावना प्रभाव है। वृक्षों पर अजीब हरियाली…
बूढ़ी काकी (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद | Budhi(Hindi Story) : Munshi Premchand|
बुढ़ापा बहुधा बचपन का पुनरागमन हुआ करता है। बूढ़ी काकी में जिह्वा-स्वाद के सिवा और कोई चेष्टा शेष न थी…
अलग्योझा (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद | Algyojha (Hindi Story) : Munshi Premchand |
भोला महतो ने पहली स्त्री के मर जाने बाद दूसरी सगाई की तो उसके लड़के रग्घू के लिये बुरे दिन…