संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास समाधान नेटवर्क द्वारा जारी विश्व खुशहाली रिपोर्ट 2025 के अनुसार, फिनलैंड ने लगातार आठवीं बार दुनिया के सबसे खुशहाल देश का ताज अपने नाम किया है। इस रिपोर्ट में 140 से अधिक देशों का विश्लेषण किया गया है, जिसमें नागरिकों की संतुष्टि, जीवन की गुणवत्ता, सामाजिक सहयोग, स्वास्थ्य, स्वतंत्रता, उदारता, भ्रष्टाचार की धारणा और सकल घरेलू उत्पाद (GDP) जैसे मानकों को शामिल किया गया है।
फिनलैंड: खुशहाली में नंबर एक
फिनलैंड ने 7.74 के प्रभावशाली औसत स्कोर के साथ शीर्ष स्थान प्राप्त किया है। इसका कारण उसकी मजबूत सामाजिक सुरक्षा प्रणाली, संतुलित जीवनशैली और प्रकृति से गहरा जुड़ाव है। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और “वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट” के संपादक जान-इमैनुएल डी नेवे ने कहा:
“फिनलैंड के लोग धनवान और स्वस्थ हैं, उनके सामाजिक संबंध मजबूत हैं, और उन्हें पर्याप्त सहयोग प्राप्त है। वे सड़कों पर नाचने वाले नहीं, लेकिन अपने जीवन से गहरे संतुष्ट हैं।”
शीर्ष 10 खुशहाल देश
फिनलैंड के बाद निम्नलिखित देश खुशहाली सूची में शीर्ष 5 में शामिल हैं:
- डेनमार्क
- आइसलैंड
- स्वीडन
- नीदरलैंड
इस साल कोस्टा रिका और मेक्सिको ने पहली बार शीर्ष 10 में स्थान बनाया है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका 24वें स्थान पर आ गया है, जो अब तक की उसकी सबसे निचली रैंकिंग है।
- यूनाइटेड किंगडम भी फिसलकर 23वें स्थान पर पहुंच गया है।
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भारत की स्थिति में सुधार
भारत ने 118वें स्थान पर पहुंचकर 2024 की तुलना में 8 स्थानों की छलांग लगाई है। यह संकेत है कि देश खुशहाली की दिशा में आगे बढ़ रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत की मजबूत सामाजिक संरचना और परिवार-केंद्रित संस्कृति ने इसे “सामाजिक सहयोग” के मामले में एक मजबूत स्थान दिलाया। हालांकि, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और जीवनशैली से जुड़े अन्य पैमानों पर देश अब भी पिछड़ा हुआ है।
पड़ोसी देशों की रैंकिंग
- नेपाल: 92वां स्थान
- पाकिस्तान: 109वां स्थान
- चीन: 68वां स्थान
- श्रीलंका: 133वां स्थान
- बांग्लादेश: 134वां स्थान
दुनिया का सबसे दुखी देश
अफगानिस्तान को दुनिया का सबसे दुखी देश घोषित किया गया है। वहां महिलाओं के लिए बढ़ती चुनौतियां, सामाजिक अस्थिरता और असुरक्षा इस निचली रैंकिंग का मुख्य कारण बनीं। इसके बाद सिएरा लियोन और लेबनान दुनिया के सबसे दुखी देशों में शामिल हैं।
निष्कर्ष
इस रिपोर्ट से स्पष्ट है कि केवल आर्थिक समृद्धि ही नहीं, बल्कि सामाजिक सहयोग, स्वतंत्रता, और जीवनशैली की संतुलित व्यवस्था किसी भी देश की वास्तविक खुशहाली को निर्धारित करती है।